Saturday, June 8, 2019

क्या जय किसान सिर्फ नारों तक ही सिमित है

राकेश शर्मा: जसूर: 07.06.2019

बरसारत लगभग आने को है और ऐसे में उपमंडल नूरपुर की पंचायत रिट के लगभग 44 किसानों की धुकधुकी और ज्यादा बढ़ गई है। पिछले साल बरसात के कहर से अपनी सैंकड़ो कनाल उपजाऊ भूमि हरी भरी फसल सहित रेगीस्तान में बदलते देखने वाले किसान छौंछ खड्ड तटीकर्ण की कच्छुआ चाल के कारण दहशत में हैं। आने वाली बरसात मे उन्हें अपनी बची खुची उपजाऊ भूमि के बह जाने का डर सता रहा है। शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन की एक बिशेष बैठक रिट में हुई जिसमें किसानों ने छौंछ खड्ड तटीकर्ण कार्य की कच्छुआ चाल पर रोष प्रकट किया तथा सरकार से मांग की छौंछ खड्ड की तटीकर्ण योजना को समय रहते पूरा किया जाए वरना किसानों को इस बार भी बरसात में भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा। स्थानीय किसानो नर्देश सिंह, जरनैल सिंह, करनैल सिंह, सुरेश सिंह, नरेश सिंह, राकेश राज कुमार सहित अन्य किसानों अनुसार बरसात को केवल एक माह का समय शेष बचा है लेकिन छोंछ खड्ड के साथ लगती रिट के किसानों की भूमि जिसकी लगभग दो किलोमीटर सीमा लगती है उसपर अभी तक योजना का कार्य ही नहीं शुरू हो पाया है। बीते साल हुई भारी बरसात में करीब चार सौ कनाल भूमि में से करीब 125 कनाल उपजाऊ भूमि पर छोंछ खड्ड ने जमकर कहर बरपाया था जिसमें उनकी न केवल धान की फसल भी तबाह हुई थी बल्कि उक्त भूमि को भी खड्ड ने रेत, बजरी, पत्थर और गाद से भर दिया था।  
किसानों अनुसार उन्होंने विभिन्न बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाकर कृषि ऋण लिया था जिसके चलते उन्होंने उचित देखभाल और भारी भरकम खर्च कर धान की फसल लगाईं हुई थी। प्रभावित हुए किसानों अनुसार उस वक्त मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारीयों ने भी नुक्सान को देखते हुए किसानों की सहायता के आश्वासन दिए थे लेकिन करीब साल भर का समय बीतने के बाद भी किसानों को बाढ़ के दौरान मिलने वाली राहत के नाम पर आर्थिक सहायता का एक धेला तक नहीं मिला और प्राक्रतिक आपदा के चलते हुई तबाही से न ही बैंकों से लिए गए कृषि ऋण में किये गए बीमा के तहत किसानों को कोई मुआवजा मिला और न ही अभी तक योजना के कार्य का कोई अता पता है। 
प्रभावित हुए किसानों अनुसार सबसे चिंताजनक बिषय यह है कि यदि बैंकों में कृषि ऋण के दौरान बीमा किया जाता है और प्रतिबर्ष उनके खातों से बीमा के बदले पैसे भी कटते हैं तो फिर नुक्सान होने पर उन्हें उक्त फसल का मुआवजा क्यों नहीं मिलता ! किसानों अनुसार यदि इस बिषय पर सम्बंधित बैंक अधिकारीयों से बात की जाती है तो उन्हें जबाव मिलता है कि यह सब बीमा कम्पनियों के आकलन के बाद ही संभव हो सकता है। किसानों को मलाल है कि एक तरफ किसानों की हालत सुधारने के लिए सरकारें बड़े बड़े दावे करती हैं लेकिन धरातल पर स्थितियां अभी भी विपरीत हैं। यदि फसल के करवाये गए बीमा के बाद भी किसानों को उचित मुआवजा न मिले, समय रहते तटीय करण की योजना सिरे न चढ़ पाए और बाढ़ पीड़ितों को राहत के नाम पर एक पैसा भी न मिले तो फिर ऐसी योजनाओं का किसानों को क्या लाभ है।
सुरेश पठानियां जिलाध्यक्ष भारतीय किसान योजना का कहना है कि छौंछ खड्ड के उक्त भाग पर निर्माण कार्य शुरू करने के शासन प्रशासन से अनेक बार गुहार लगाईं जा चुकी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। बरसात को करीब एक माह का ही समय बचा है यदि समय रहते योजना का कार्य शुरू नहीं हुआ तो किसानों को और भी भारी नुक्सान उठाना पडेगा जिसके लिए सरकार को तुरंत कार्यवाही अम्ल में लानी चाहिए।  

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