राकेश शर्मा (हिमाचलविज़िट)
पठानकोट मंडी फोरलेन परियोजना के चलते होने वाले विस्थापितों के हक के लिए फोरलेन लोक बॉडी के अध्यक्ष राजेश पठानिया के नेतृत्व में फोरलेन लोक बॉडी के सदस्यों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भरवाईं में मिल कर अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा।
फोरलेन लोक बॉडी के अध्यक्ष राजेश पठानिया का कहना है कि पठानकोट मंडी फोरलेन परियोजना भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया के अंतिम चरण में है और उसके अवार्ड भी हो चुके हैं, मतलब किसको कितना मुआवजा मिलेगा यह अधिसूचना जारी हो चुकी है। परंतु सरकार और NHAI ने मिलकर कंडवाल से सिऊणी तक के लोगों को एक बड़ा झटका देते हुए उनकी एनएच किनारे की व्यवसायिक जमीनों के दाम कौड़ियों में लगाते हुए लगभग 3781 प्रभावित लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया है।
पठानिया का कहना है कि पठानकोट मंडी फोरलेन परियोजना को शुरू करवाने के लिए उन्होंने अक्टूबर 2019 को 17 दिन तक नूरपुर के चौगान मैदान में आमरण अनशन किया था। सरकार ने एनएच के किनारे की जमीन जिसका मौजूदा मूल्य 5 लाख रुपये मरले से कम नहीं है उसका रेट करीब 2 लाख रुपये कनाल आंका है जिससे सभी प्रभावित तबाह हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जानबूझकर जनता को गुमराह करते हुए अंतिम समय तक झूठ बोला कि प्रभावितों को बहुत अच्छे रेट दिए जा रहे हैं। लेकिन अब हमारी कीमती जमीनों का मुआवजा सरकार कौड़ियों के भाव दे रही है। जिस जमीन को लोगों ने 2 लाख रुपये मरला के हिसाव से खरीदा अब सरकार उसका मूल्य 2 लाख कनाल लगा रही है जोकि जनता के साथ सरासर अन्याय हैं।
राजेश ने कहा कि लोग इस परियोजना को शुरू होने में अत्यधिक देरी के कारण बैंकों के कर्ज में डूबे हुए हैं और अब सरकार द्वारा कम कीमत उन्हें आत्महत्या करने को मजबूर कर रही है। उन्होंने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि तुरन्त हस्तक्षेप करते हुए इस परियोजना का भू-अधिग्रहण रोका जाए और प्रभावितों को मार्केट वैल्यू के आधार पर फैक्टर 2 के हिसाब से ब्याज सहित मुआवजा दिया जाए।
राजेश पठानिया ने कहा कि अगर पठानकोट मंडी फोरलेन परियोजना के प्रभावितों में से किसी ने भी अपनी जमीनों को लुटते हुए देख किसी अनहोनी को अंजाम दिया तो इसकी सीधे तौर पर जिम्मेदारी सरकार की होगी।अतः सरकार से निवेदन है कि इस भू-अधिग्रहण प्रक्रिया को तब तक रोक दिया जाए जब तक कि विस्थापितों को उचित मुआवजा नहीं मिल जाता।
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