राकेश शर्मा: जसूर: 21.07.2019
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ वल्लभभाई कथीरिया ने हिमाचल प्रदेश के युवा राजेश डोगरा, ऋषि डोगरा, पंकज ग्रोवर एवं दीपक वर्मा के हिमाचल की वादियों में गौशाला खोलकर उसे व्यवसायिक रूप देने का प्रतिमान स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयास के लिये बधाई दी। दिल्ली स्तिथ अपने कार्यालय में इन युवजन के साथ एक मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि स्वदेशी कामधेनु गौशाला में गौ सेवा संरक्षण व संवर्धन पर किए जा रहे प्रयास युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
उन्होंने बताया कि गौ सरंक्षण के माध्यम से ही स्वास्थ्य एवं खुशहाल ग्रामीण जीवन की परिकल्पना की जा सकती है। वर्तमान परिस्थितियों में युवा पीढ़ी का गौ सेवा में पदार्पण एक नए अध्याय की शुरुआत है। इससे स्वस्थ, शुद्ध, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन उपलब्ध होने के साथ साथ हमारा पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
डॉ वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि गौ सरंक्षण में कार्यरत संस्थाओं को जैविक खाद बनाने, किसानों को प्रशिक्षित करने, गोचर विकास को बढ़ावा देने और अन्य प्रकार के ऑर्गेनिक उत्पादों को तैयार करने तथा उनके विपणन के साथ साथ प्रचार प्रसार में भी ध्यान देने की जरूरत होती है ।
डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया ने पंचगव्य औषधियों के उत्पादन पैकेजिंग, गुणवत्ता नियंत्रण तथा विपणन के बारे में बताते हुए गौ सरंक्षण की कई नई योजनायें बतायी और कहा कि आजकल काऊ टूरिज्म और काऊ थेरेपी जैसे कार्यक्रम संचालित किए जाने चाहिए ताकि गौशालाओं के आर्थिक हालात को सुधारा जा सके। आयोग ने इसके लिए एक राष्ट्रीय अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
जिला काँगड़ा के उपमंडल नूरपुर के एक छोटे से गांव गनोह में स्वदेशी कामधेनु गौशाला की स्थापना 2 वर्ष पूर्व की गई थी। वर्तमान में इस गौशाला में कुल 55 देसी नस्ल की गाय हैं। डॉक्टर कथीरिया स्वदेशी कामधेनु गौशाला के संचालकों से प्रभावित हुए और उन्हें हिमाचल प्रदेश में आदर्श केंद्र स्थापित करने की सलाह दी और आयोग द्वारा हरसंभव सहायता का आश्वासन भी दिया।
गौशाला में इस समय कुछ गोउत्पाद जैसे वैदिक घी, धूप, फिनायल, गौअर्क, गौमय वात नाशक तेल, गौतक्रासव, गौत्क्रारिषट सहित अन्य उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। इस अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पूर्व मीडिया प्रमुख एवं प्रधान संस्थापक प्रधान संपादक डॉ आर पी चौधरी जी मौजूद रहे।
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