हर बच्चा अपने सपनों को सच करने का हक रखता है, और वार्षिक परीक्षा उस सपने को पूरा करने की ओर एक बड़ा कदम हो सकता है। लेकिन कई बार यह सफर थोड़ा मुश्किल और समझना जटिल लगता है। जैसा की वार्षिक परीक्षाओं का दौर चल रहा है ऐसे में खुद बच्चे और अभिभावक अपने बच्चों को इस सफर के लिए कैसे बेहतर तरीके से तैयार कर सकते हैं और कैसे कुछ आसान और प्रभावी टिप्स से उनका कॉन्फिडेंस और प्रदर्शन दोनों बढ़ाया जा सकता है इस संबंध में तहसीलदार नूरपुर, राधिका सैनी कुछ बहुत ही बढ़िया और उपयोगी टिप्स शेयर किये हैं।
राधिका सैनी ने कहा कि मैं एक तहसीलदार होने के साथ-साथ एक माँ भी हूँ, और मैंने अपने बच्चे के लिए इन सभी बातों का ध्यान रखा है। मैं जानती हूँ कि परीक्षा का दबाव बच्चों पर कैसा असर डाल सकता है, इसलिए मैं अपने बेटे को हमेशा आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच सिखाने की कोशिश करती हूँ। मैं चाहती हूँ कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को समझें, उन पर अनावश्यक दबाव डालने की बजाय उनका हौसला बढ़ाएँ।
उन्होंने कहा कि बच्चों के मन में यह विश्वास भरना बेहद ज़रूरी है कि परीक्षा उनकी ज़िंदगी की दिशा तय नहीं करती बल्कि यह तो बस एक चरण है जिसे आत्मविश्वास और मेहनत के साथ पार किया जा सकता है। जब हम बच्चों को परीक्षा के डर से मुक्त करेंगे, तभी वे अपनी वास्तविक प्रतिभा को निखार सकेंगे।
परीक्षाओं का मौसम आते ही छात्रों के मन में तनाव की लहर दौड़ने लगती है। किताबों के ढेर, समय की कमी, अच्छे अंक लाने का दबाव और माता-पिता की उम्मीदें—सब मिलकर परीक्षा को एक मानसिक युद्ध जैसा बना देते हैं। लेकिन क्या वास्तव में परीक्षा इतनी भयावह होनी चाहिए? क्या हम इसे एक सहज प्रक्रिया नहीं बना सकते?
तनाव का कारण: अपेक्षाएँ या तैयारी की कमी?
अधिकांश छात्र परीक्षा के समय इसलिए घबराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी तैयारी अधूरी है। लेकिन क्या यह सच में तैयारी की कमी होती है, या फिर समाज और परिवार की ऊँची अपेक्षाएँ हमें डराने लगती हैं? हम अक्सर परीक्षा को ‘ज़िंदगी और मौत’ का सवाल बना देते हैं, जबकि यह तो बस ज्ञान मापने का एक तरीका भर है। बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने की बजाय हमें उन्हें यह समझाने की ज़रूरत है कि परीक्षा सिर्फ उनके सीखने की एक प्रक्रिया का हिस्सा है, न कि उनकी क्षमता का अंतिम निर्णय।
हम तनाव को दूर करने के लिए कुछ अभिनव उपाय कर सकते है जैसे :-
1. ‘रिवर्स काउंटडाउन’ तकनीक:- परीक्षा को डर की जगह रोमांचक बनाने के लिए ‘रिवर्स काउंटडाउन’ तकनीक अपनाएँ। मान लीजिए, परीक्षा में 30 दिन बचे हैं। इसे एक खेल की तरह लीजिए—हर दिन अपने आपको चुनौती दें कि आज एक नया टॉपिक जीतना है। खुद को हर दिन एक छोटा इनाम दें, जैसे पसंदीदा स्नैक या 15 मिनट का गेम ब्रेक। इससे पढ़ाई उबाऊ नहीं लगेगी, बल्कि एक उपलब्धि की तरह महसूस होगी।
2. ‘ब्रेन हैकिंग’ के ज़रिए पढ़ाई:- हमारा दिमाग कहानियाँ जल्दी याद रखता है, सूखा-सूखा पाठ नहीं। अगर इतिहास की घटनाएँ याद करनी हों, तो उन्हें एक फिल्म की तरह सोचें। गणित के सूत्रों को रैप सॉन्ग में बदल दें। विज्ञान को एक मज़ेदार प्रयोग समझें। जब पढ़ाई मज़ेदार होगी, तो तनाव दूर भाग जाएगा।
3. ‘डिजिटल डिटॉक्स टाइम’:- रील्स और वीडियो की आदत दिमाग को बेचैन बनाती है। परीक्षा के समय ‘डिजिटल डिटॉक्स टाइम’ तय करें, यानी हर दिन कम से कम दो घंटे बिना फोन या सोशल मीडिया के पढ़ाई करें। इससे फोकस बढ़ेगा और मन शांत रहेगा।
4. नींद और खानपान का ध्यान रखें:- रातभर जागकर पढ़ाई करना बुद्धिमानी नहीं, बल्कि नुकसानदायक होता है। दिमाग को काम करने के लिए पर्याप्त नींद और अच्छा पोषण चाहिए। नट्स, फल, और पानी का सेवन बढ़ाएँ ताकि ऊर्जा बनी रहे। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है, और यह परीक्षा के समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
5. ‘फियर-फ्री ज़ोन’ बनाएँ:- घर या स्कूल में ऐसा माहौल तैयार करें जहाँ बच्चों को असफल होने का डर न सताए। माता-पिता और शिक्षक छात्रों को यह समझाएँ कि परीक्षा केवल एक पड़ाव है, पूरी ज़िंदगी नहीं। यह भरोसा उन्हें तनावमुक्त रखेगा। अगर किसी विषय में कम अंक आते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि बच्चा अयोग्य है। हमें उनकी क्षमताओं को पहचानकर उन्हें प्रेरित करने की ज़रूरत है!
परीक्षा का तनाव कोई राक्षस नहीं, जिसे हराना मुश्किल हो। सही रणनीति, संतुलित जीवनशैली और सकारात्मक सोच के साथ इसे आसान बनाया जा सकता है। परीक्षा को एक अवसर की तरह देखें, न कि चुनौती की तरह। जब दिमाग शांत रहेगा, तो सफलता अपने आप कदम चूमेगी।
तो इस परीक्षा सत्र में तनाव को ‘ना’ कहिए और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़िए!
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