तहसील ज्वाली के गांव ढन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन पंडित सुमित शास्त्री ने श्रद्धालुओं को जीवन के वास्तविक उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "विषय सुख केवल इन्द्रियों का तर्पण है, इसमें आत्मा कभी तृप्त नहीं होती।"
उन्होंने कपिल भगवान और उनकी माता देवहूति के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि संसार के समस्त भौतिक सुख अपूर्ण हैं, इसलिए इन्हें प्राप्त कर लेने से भी पूर्णता का अनुभव नहीं होता। जीवन में वास्तविक संतोष और शांति केवल प्रभु की भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है। इसके लिए सच्चे संतों का संग आवश्यक है, क्योंकि वे ही ईश्वर की कथा सुनाकर श्रद्धा और भक्ति का संचार करते हैं।
पंडित शास्त्री ने प्रवचन में आगे कहा कि जब मनुष्य संतों के सत्संग में बैठकर प्रभु की महिमा को सुनता है, तो उसका मन भगवान के गुणों की ओर आकर्षित होने लगता है। इससे श्रद्धा उत्पन्न होती है, जो आगे चलकर विशुद्ध प्रेम में परिवर्तित होती है। यही प्रेम एक दिन भक्ति का रूप ले लेता है और भक्त को भगवान के साक्षात्कार का सौभाग्य प्राप्त होता है।
कथा में अश्वनी कुमार, अजय, राकेश, सतीश, उर्मिला प्रधान, सुनीता देवी, विमला, रक्षा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन, कल भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर विशेष झांकियां सजाई जाएंगी, भजन-कीर्तन होगा और महाप्रसाद का आयोजन किया जाएगा। आयोजकों ने क्षेत्रवासियों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस पावन उत्सव का आनंद लेने की अपील की है।
पंडित सुमित शास्त्री के प्रवचनों ने श्रद्धालुओं को भक्ति और आत्मिक शांति का महत्व समझाया। कथा के माध्यम से भक्तों को संदेश दिया गया कि सांसारिक सुख क्षणिक हैं, जबकि प्रभु की भक्ति से ही जीवन में पूर्णता आती है। अब सभी की निगाहें कल के श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर टिकी हैं, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है।
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