Tuesday, March 25, 2025

एक देश, दो कानून? सांसदों को आजीवन पेंशन तो कर्मचारियों को क्यों नहीं?

राकेश शर्मा (समाचार हिमाचल) 25 मार्च 2025
हिमाचल प्रदेश न्यू पेंशन स्कीम रिटायर्ड कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजीव गुलेरिया ने केंद्र सरकार द्वारा सांसदों के वेतन और पेंशन में किए गए 24% वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस बढ़ोतरी से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि जब सांसदों और विधायकों को केवल 5 साल के कार्यकाल के बाद या समय से पहले सदन भंग होने की स्थिति में आजीवन पेंशन का प्रावधान है, तो फिर सरकारी कर्मचारियों के लिए 25 साल की सेवा की अनिवार्यता क्यों लागू की गई है?
डॉ. गुलेरिया ने मांग की कि सरकारी कर्मचारियों को भी सांसदों की तरह गारंटीड पेंशन दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनपीएस (नई पेंशन योजना) के तहत कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने 10% राशि काटी जा रही है, जो उनके हक पर सीधा प्रहार है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सांसदों की पेंशन बिना किसी अंशदान के सुनिश्चित हो सकती है, तो फिर कर्मचारियों के लिए इस तरह की कटौती क्यों की जा रही है?
डॉ. गुलेरिया ने "एक देश, एक विधान" के सिद्धांत पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब सांसदों और विधायकों को गारंटीड पेंशन मिल सकती है, तो फिर कर्मचारियों को इससे वंचित रखना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि सरकारी कर्मचारियों के साथ हो रहे इस "पेंशन भेदभाव" को तुरंत खत्म किया जाए।
निष्कर्ष
डॉ. संजीव गुलेरिया ने साफ कहा कि सांसदों और विधायकों की पेंशन और वेतन बढ़ाने का विरोध नहीं है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के लिए भी समान पेंशन व्यवस्था लागू होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि एनपीएस को खत्म कर सभी कर्मचारियों को फिर से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ दिया जाए, ताकि वे भविष्य में आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस कर सकें।

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