Saturday, February 15, 2020

मिसाल: अल्का शर्मा के हौलसे को प्रणाम

राकेश शर्मा (हिमाचलविज़िट) 15 फरवरी 2020 
कहानियां आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो जीवन भर प्रेरणा देती रहती हैं। ऐसी ही एक कहानी देवभूमी हिमचाल के फतेहपुर क्षेत्र के रैहन के गांव छत्र की अलका शर्मा की है।
कहते हैं संस्कार हमें अपने माता-पिता व अपने गुरुजनों से आदर्शो के रूप में मिलते हैं, जिन्हें हम आत्मसात कर अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं। आगे चल कर जीवन के सफ़र में वरदान के रूप में मार्गदर्शन करते रहते हैं। वर्तमान समय में ऐसे लोग बहुत कम हैं जो अपनी सारी जमा पूंजी, अपना घर-बार अपने आसपास के असहाय व जरूरतमंद लोगो की सेवा में न्योछावर कर देते हैं।  
रैहन के पास छोटे से गांव छत्र में ऐंजल दिव्यांग व अनाथ आश्रम की संस्थापिका "अलका शर्मा" असहाय व जरूरतमंद बच्चों की निस्वार्थ रूप से सेवा करके मानवता की अनूठी मिसाल पेश कर रही हैं। अपने पति नीरज शर्मा के सराहनीय सहयोग से इस आश्रम में ये अपने खर्चे से 70 से ज्यादा दिव्यांग बच्चो की देखभाल कर रही है। 
इन बच्चों का खाना-पीना, बच्चो को घर से लाना व ले जाना ये सब कार्य इस दम्पति के द्वारा किया जाता है।सबसे बड़ी बात ये आश्रम इन्होंने अपने घर पर ही खोल रखा है। जहां पर ये बच्चो की देखभाल खुशी, स्नेह व प्रेम से करते हैं। बच्चो के लिए धन की कमी न आये इसके लिए "ऐंजल" नाम से आचार बनाते हैं। जिसकी बिक्री से जो पैसा मिलता हैं। उसे इन बच्चों की सेवा में लगाते हैं। 
अभी हाल ही में अल्का शर्मा व उनके पति नीरज शर्मा नगरोटा सुरियाँ के समीप छोटे से गांव बिलासपुर पहुँचे। दिव्यांग व अनाथ आश्रम के सह संथापक नीरज शर्मा ने कहा कि कुछ दिन पहले अल्का शर्मा को जानकारी मिली थी कि एक 19 बर्षीय बेबी जोकि दिव्यांग बच्ची है जिसकी हालत बहुत ही खराव है। जिसके पांव व पीठ पर गहरे जख्म हो गए है। बेबी के माता-पिता भी मानसिक रोगी हैं और बेबी की देखभाल नही कर सकते। इस बिषय से एसडीएम देहरा धर्मवीर ठाकुर नव भी हर संभब सहायता करने का आश्वासन दिया है। अल्का शर्मा उस दिव्यांग बच्ची के बारे बहुत चिंतित थी और बच्ची की हर तरह से सहायता करना चाहती है।
अल्का शर्मा का कहना है कि देखा गया है दिव्यांग बच्चो को हद से ज्यादा कंट्रोल किया जाता है। ऐसे में बच्चे किसी भी सामाजिक कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाते हैं। घर-परिवार और समाज दिव्यांग बच्चों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाएं व उन में आत्मविश्वास जगाएं तो वे भी सामान्य लोगों की तरह कामयाबी की मंजिल पा सकते हैं। बस जरूरत है तो केवल उचित देखभाल करने की, शारीरिक रूप से विकलांग न जाने कितने लोग आज कई क्षेत्रों में कामयाब हैं। उनके पीछे उनके माता-पिता का स्नेह, गुरुजनों की शिक्षा और परिवार वालों की मेहनत व कोशिशें हैं। यदि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है तो उसमें आत्मविश्वास भरने की कोशिश करें और जीवन के प्रति उसकी सोच को सकारात्मक बनाए रखने में मदद करें हैं। जिससे उसको अपने जीवन मे अपने आत्मबल के सहयोग से आगे बढ़ने में मदत मिलती रहें।

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