अखिल भारतीय गद्दी जनजातीय विकास समिति के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष गद्दी नेता मदन भरमौरी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि जनजातीय भवन जसूर (नुरपुर) का निर्माण कार्य राजनैतिक एवं प्रशासनिक षडयंत्रों का शिकार हुआ है जो कि अनुसूचित जनजातीय समुदाय के लोगों के साथ अन्याय है यह असंवैधानिक है और सहन करने योग्य नही है।
गद्दी नेता मदन भरमौरी ने वन मंत्री राकेश पठानियां एवं त्रिलोक कपूर को यह सलाह दी है कि ‘शीशे के घर में रहने बाले दूसरों के घरों पर पत्थर नही बरसाया करते’ क्यूँकि माननीय त्रिलोक कपूर जी आपके क्षेत्र बैजनाथ में आप स्वयं अनुसूचित जनजाति के समुदाय के लोगों के लिए एक भवन बनाना तो दूर आप एक सराय तक नही बना पाए। इसलिए आप नूरपुर क्षेत्र के जनजातीय भवन को लेकर राजनीति कर के समुदाय को गुमराह न करें, यह आप भी अच्छी तरह जानते है कि प्रस्तावित जनजातीय भवन स्वर्गीय श्री वीरभद्र सिंह जी कि देन है कृपया इस का श्रेय लेने का घृणित एवं कुत्सित प्रयास न करें।
गद्दी नेता मदन भरमौरी ने अपने शब्दों में यह बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि जनजातीय भवन किसी राजनेता या किसी प्रशासनिक अधिकारी की व्यक्तिगत जागीर नही है अत: जनजातीय भवन को राजनीति का मुद्दा न बनाया जाए।
मदन भरमौरी ने कहा कि नूरपुर प्रशासन के द्वारा मुख्यमंत्री के आदेश दिनांक 01.07.2020 एवं आदेश पत्र संख्या secy/CM-T0603/2017-DEP-B-222961 की अवहेलना हो रही है जो कि निंदनीय है। विषय प्रस्तुति इस प्रकार है कि वर्ष 2014 में तात्कालीन सरकार द्वारा दिनांक 23.01.2014 को गद्दी कल्याण बोर्ड की 14वीं बैठक में (मद संख्या 120) नूरपुर में जनजातीय भवन के लिए स्वीकृति मिली थी और 2.5 करोड़ रूपये की एक मुक्त राशि तात्कालिक मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह जी के द्वारा मंजूर की गई जिसमें कि तात्कालिक सरकार द्वारा 1.5 करोड़ रूपये की पहली किश्त दिनांक 18.09.2017 को लोक निर्माण विभाग को समर्पित की गई, ठीक तीन दिन पश्चात् 21.09.2017 को जनजातीय भवन (जसूर) का शिलान्यास तात्कालिक प्रदेश सरकार के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी द्वारा किया गया था परन्तु सरकार परिवर्तन के पश्चात दिनांक 12.07.2019 को प्रस्तावित जनजातीय भवन की निविदा (टेंडर) प्रक्रिया चयनित ठेकेदार को समर्पित की गई निविदा (टेंडर) प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात तात्कालिक सरकार द्वारा प्रशासन को जनजातीय भवन के निर्माण का आदेश दिया गया परन्तु ठेकेदार के द्वारा लोक निर्माण विभाग को निर्माण कार्य आरम्भ करवाने के सम्बन्ध में 9 बार लिखित रूप में आवेदन किया गया है परन्तु आपत्तिजनक बात यह है कि राजनैतिक कारणों के चलते लोक निर्माण विभाग मुख्यमंत्री की अवज्ञा निरंतर कर रहा है। इसी निष्क्रियता के कारण बिना किसी अधिकारिक आदेश एवं बिना किसी अधिकारिक सूचना के अनुचित ढंग से जनजातीय भवन के स्थानान्तरण का विषय भी सामने आया जिसकी समय समय पर समिति के सदस्यों के द्वारा भर्त्सना एवं विरोध भी किया गया और कुछ ठोस एवं तार्किक प्रश्न उठाये गये लेकिन उन प्रश्नों के संतोषजनक एवं सकारात्मक उत्तर नहीं मिल पाए हैं।
हम मुख्यमंत्री महोदय जी से नूरपुर प्रशासन (जनजातीय भवन से सम्बन्धित) की शिकायत करते हुए उपरोक्त विषय से सम्बन्धित उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं और दोषी पाए जाने बाले प्रत्येक अधिकारी के लिए कठोर दण्ड की भी मांग करते हैं क्यों कि जनजातीय नियमों के अनुसार जनजातीय विकास में अवरोध उत्पन्न करना (विकास रोकना ) भी किसी अत्याचार से कम नही है।
अधिकारिक रूप से यदि देखा जाये तो यह विषय दिनांक 23.01.2014 से लम्बित पड़ा है जब कि प्रदेश में योग्य सरकार के होते हुए यह निंदनीय है वर्तमान में समय कि अधिकता को देख कर हम विवश हैं कि इस शिकायत पत्र मुख्य मंत्री कार्यालय में पहुँचने के 15 दिन के भीतर यदि करवाई सकारात्मक रूप से नही हुई तो प्रस्तुत शिकायत पत्र की प्रति सभी दस्तावेजों के साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग नही दिल्ली एवं केंद्रीय जनजातीय विकास मंत्रालय एवं केन्द्रीय मंत्री लोक निर्माण विभाग (CPWD) को प्रेषित की जाएगी जो कि आगामी करवाई हेतु प्रस्तुत है।
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