Thursday, April 25, 2019

क्या है जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने का सरल माध्यम

राकेश शर्मा: जसूर: 25.04.2019
जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने का यदि कोई सरल माध्यम है तो वह केवल और केवल सत्संग है। अगर आहार, व्यवहार और विचार को शुद्ध करके किया गया सत्संग जीवात्मा को परमात्मा से मिलाता है। वीरवार को नूरपुर की कोपडा पंचायत के गांव भटका में वह रही श्रीराम कथा रुपी ज्ञानगंगा की दूसरी धर्म सभा के दौरान यह प्रवचन रूपी मोती बैष्णव विरक्त मंडल के श्रीमहंत साध्वी अमृतलता दास जी महाराज सत्संग के रूप बांटे। उन्होंने कहा कि नर देह धारण करके भी प्रभु के प्रेम का रसास्वादन नहीं किया तो फिर उस परमानंद का बोध कैसे होगा? दुखों, संतापों के दौर से बीतता यह जीवन व्यर्थ ही बीत जाएगा और मानव देह धारण करने का उदेश्य निरर्थक हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जीवात्मा को मिली यह मानव देह एक किराए के मकान की तरह है जिसका प्रभि ही एकमात्र मालिक है। जब एक न एक दिन सबको इस मकान को खाली करके जाना है तो फिर इस मकान में सांसारिक माया की चिंता के बजाये उस मकान के असली मालिक की माया का चिंतन करना होगा।  

उन्होंने कहा कि सत्संग में ऐसी शक्ति है कि इसकी शरण में आने से बड़े से बड़ा पापी भी अपने संतापों से मुक्त होकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है लेकिन इसके लिए जीवात्मा को हृदय रुपी कमल की चित वृत्तियों को खाली कर एक ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की शरणागत होना पडेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक प्रसूता गाय अपने नवजात बछड़े को अपनी जिभ्या से चाटकर निर्मल करती है उसी प्रकार संत सद्गुरु भी शरण में आई जीवात्मा के भीतर आये बिषय बिकारों को दूर कर उसे परमात्मा के चरणों से जोड़कर उस परमानन्द का बोध करवाते हैं जब धीरे धीरे उस परमानंद से जीवात्मा की प्रीत बढती है तो एक दिन जीवात्मा आवागमन के बन्धनों से मुक्त होकर श्री हरी की हो जाती है।  
उन्होंने राजा दशरथ का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि आयु के चैथे प्रहर भी जब राजा दशरथ के हृदय में अनेक बिषय उत्पन्न हुए और सांसारिक दुखों ने घेरा डाला तो राजा दशरथ अपने सद्गुरु की शरण में गए। सद्गुरु की ऐसी कृपा हुई कि राजा दशरथ के महलों में चार पुत्र रत्नों सहित श्रीहरी बिष्णु मर्यादा पुर्शोतम श्रीराम जी अवध नरेश के महलों में पुत्र बनकर अवतरित हुए। 
इस दौरान संगीतमयी श्रीराम कथा द्वारा समस्त क्षेत्र श्रीराम नाम की महिमा से सरावोर रहा। इस मौके पर उतम चंद, देस राज, बिटटू शर्मा, बविता शर्मा, प्रेम चंद, खुशी राम, ओंकार शर्मा, अश्वनी पंडित, सोनू शर्मा, लक्की शर्मा तथा देवराज सहित भारी संख्या में श्रीराम कथा रसिकजन उपस्थित रहे।

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