टांडा मेडिकल कॉलेज में नूरपुर के कोट पलाहड़ी से एक गरीब परिवार से संबध रखने वाली गर्भवती बंदना ने नार्मल डिलीवरी द्वारा एक बच्चे को जन्म दिया। एक एक साधारण बात है लेकिन जिस महिला ने नार्मल डिलीवरी द्वारा एक बच्चे को जन्म दिया उसे पहले नूरपुर अस्पताल ले जाया गया था जहाँ से उसे सीधे टांडा रैफर कर दिया गया। और उस पर भी एम्बुलेंस सुविधा सिर्फ आधे से भी कम रस्ते तक देने की बात कही गई। ऐसे में एक गरीब परिवार को खुद टैक्सी कर गर्भवती को टांडा ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। परिवार वालों ने ऐसे में सवाल उठाये हैं कि नार्मल डिलीवरी के लिए भी अगर टांडा जाना पड़े तो नूरपुर अस्पताल का क्या औचित्य?
विकासखंड नूरपुर की पंचायत कोट पलाहड़ी निवासी बन्दना के ससुर लब्बू राम जो क़ी एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं ने बताया कि 28 मई को शाम लगभग 7:30 बजे 108 एंबुलेंस की सहायता से गर्भवती बंदना को प्रसब हेतु नूरपुर सिविल अस्पताल में ले जाया गया। लेकिन अस्पताल में प्रसब ना करवा कर उसे रात 11 बजे के बाद टांडा मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया। प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को एक तो रात के समय और ऊपर से लॉक डाउन के चलते बड़ी मुश्किल से अन्य गाड़ी का प्रबंध करके रात लगभग 1:00 बजे टांडा मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया जहाँ नॉर्मल डिलीवरी द्वारा वंदना ने एक बच्चे को जन्म दिया।
एसएमओ नूरपुर डॉ दिलवर का इस मामले में कहना है कि वंदना को प्रसव के लिए 108 द्वारा नूरपुर लाया गया था। मगर बच्चे की दिल की धड़कन सही न होने के कारण वंदना को टांडा रैफर कर दिया गया। अस्पताल द्वारा धर्मशाला में 108 एम्बुलेंस के लिए बात की गई थी, लेकिन उस समय एम्बुलेंस उपलब्ध नही हो पाई और जो हमारे पास एम्बुलेंस थी वो एक अन्य केस जिसे कि टांडा रैफर किया था उसे लेकर गई थी। डॉ दिलवर ने कहा कि नूरपुर अस्पताल में आप्रेशन के द्वारा भी डीलीवरी होती है और उस दिन भी ऑपरेशन के द्वारा डिलीवरी हुई थी।
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