राकेश शर्मा (हिमाचलविज़िट) 29 मई 2020
हिमाचल प्रदेश में कॉरोना काल के दौरान काफी मशक्कत के उपरांत राष्ट्रीय स्तर पर देव भूमि ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की। लेकिन पीपीई किट घोटाले ने हिमाचल राज्य की ईमानदार छवि को गहरा धक्का लगा,जिससे मुख्यमंत्री की ईमानदार छवि की अब अग्नि परीक्षा का दौर शुरू हुआ है।येे कहना है ज़िला कांग्रेस प्रवक्ता सुदर्शन शर्मा का।
सुदर्शन शर्मा का कहना ह कि जयराम सरकार का यह ढाई वर्ष का कार्यकाल वाक्य ही असल में राम राज्य को प्रमाणित करता है। लेकिन अब ढाई वर्ष का बचा हुआ कार्यकाल रामायण युग से निकल कर महाभारत युग की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है।जब भी अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर ईमानदारी का बखान कोई भी बुद्धिजीवी करता है तो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य का बखान करने में गोरवभिंत महसूस करता है।अब दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर हिमाचल प्रदेश की ईमानदार छवि को बरकरार रखना होगा।
सुदर्शन शर्मा ने कहा कि इस पहाड़ी राज्य का दर्जा राष्ट्र की सुरक्षा के लिहाज से,जनसंख्या के लिहाज से प्रथम दर्जा प्राप्त है,देश की सुरक्षा को समर्पित हिमाचल राज्य के जवानों ने शहादत में भी एहम किरदार अदा किया है।मेजर सोम नाथ शर्मा,विक्रम बत्रा,सौरभ कालिया ऐसे कई बहादुर बीरो ने देश की सरहदों पर सुरक्षा खातिर दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए अपने प्राण दे मां की गोद में समां गए।यह बो देव भूमि है जिसकी स्थापना हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार ने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।इस पहाड़ी राज्य की राजनीतिक धरोहर के रूप में आज भी हिमाचल प्रदेश के जनमानस को गर्व है।जिनमे मुख्यता राज्य के छ मरतबा मुख्यमंत्री रहे राजा वीरभद्र को मसीहा के तौर पर पहचान मिली,तदोपरांत माननीय शांता कुमार जो कि दो मरतबा राज्य के बतौर मुख्यमंत्री रहे जिनको पानी वाले,अन्तोदय जैसी कल्याणकारी योजनाओं के रूप में पहचान मिली,इनके उपरांत प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में दो मरतबा मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला ब सड़कों वाले मुख्यमंत्री के रूप में पहचान बनाई।
अब देखना यह है कि मौजूदा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर कोन सी पहचान लेकर राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर सामने आ सकते है। यह तो गर्व ज्ञान की बात है लेकिन ईमानदार छवि का रुतबा तो ठाकुर साहब का बरकरार है। जिसके लिए महोदय बधाई के पात्र है।
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