Friday, June 26, 2020

गरीबों के लिए योजनाएं तो हैं, लेकिन ....

राकेश शर्मा (हिमाचलविज़िट) 26 जून 2020 लेकिन 

सरकार ने वैसे तो गरीबों के लिए कई योजनाएं चला रखीं हैं लेकिन शायद ही कभी किसी जरूरतमंद गरीब को समय पर सहायत मुहैया हो पाई हो।लम्बी कागजी प्रक्रिया के चलते तो कभी प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण गरीब हमेशा असहाय ही नज़र आता है। 
विकास खण्ड नूरपुर की पंचायत अगाहर के गांव कैहरना निवासी मोहन लाल जर्जर हो चुकी घर में अपने परिवार के साथ दिन काटने को मजबूर है।छत पर डाली गई टीन भी बेहद दयनीय स्थिति में पहुँच चुकी है जो कि जगह जगह से टपकती है। बरसात सर पर है और ऐसे में मोहन के परिवार ने टीन से कमरे में बारिश में टपकने वाले पानी को रोकने के लिए तिरपाल डाली लेकिन वह भी अब जीर्ण शीर्ण हो चुकी है। अब बरसात में इस परिवार का भगवन ही रखवाला है। 
मोहन ने बताया कि सरकार की ओर से पात्र लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत मकान के लिए मिलने वाली अनुदान सहायता राशि के लिए भी बकायदा हर जगह उसने दस्तक दी लेकिन उसकी समस्या का समाधान नही हुआ। उक्त पंचायत के वार्ड 4 के निवासी मोहन दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार में पत्नी सहित बेटी और बेटे का जैसे तैसे पालन पोषण कर रहा था। लेकिन मोहन के अनुसार पिछले कुछ समय से वह बीमारी की चपेट में आने से दिहाड़ी मजदूरी करने में भी असमर्थ है। आलम यह है कि घर का खर्च चलाने के लिए पत्नी ममता देवी किसी के घर में काम करती है जिससे बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता है।
आर्थिक हालत बेहद खराब होने के चलते मोहन की बेटी सिमरन को ग्याहरवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। सिमरन ने अपना दर्द व्यान करते हुए कहा कि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और पात्र लोगों की सहायता करने के लिए अनेक योजनाओं का दम तो भरती है लेकिन उनके परिवार की हालत किसी को भी नजर नही आ रही। सिमरन के अनुसार उन्हें शौचालय के लिए भी कोई अनुदान राशि नही मिली। बेटा आदित्य आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है ।
  मोहन ने बताया कि बरसात सिर पर है जर्जर झोंपड़ी कभी भी साथ छोड़ सकती है। ऐसे में कोई अनहोनी भी हो सकती है। मोहन का कहना है कि मकान की सहायता के लिए पंचायत से लेकर विभिन्न कार्यालयों में चक्कर लगाकर हार चुका हूं। मोहन ने प्रदेश सरकार व नूरपुर प्रशासन से मांग की है कि उसकी हालत का शीघ्र आकलन करवाया जाए और मकान के लिए अनुदान राशि की सहायता दी जाए। 
अगाहर पंचायत प्रधान गुलजारां बीबी का इस मामले में कहना है कि विगत बर्ष पीएमवाई योजना के तहत जियो टैगिंग के जरिये किये गए आवेदनों के दौरान पंचायत द्वारा उक्त परिवार को जरूरी दस्तावेज पंचायत कार्यालय में जमा करवाने के लिए बार बार सूचित किया गया था लेकिन उन्होंने दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाये। पंचायत द्वारा अब रिजर्ब कोटे के तहत भी मिलने वाली अनुदान राशि के लिए उक्त व्यक्ति का नाम डाला है। स्वीकृति मिलने के बाद ही उक्त व्यक्ति को अनुदान राशि मिलना सम्भव हो पायेगा।
वहीँ एसडीएम नूरपुर डॉ सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है। इस बिषय पर सम्बन्धित पंचायत से जानकारी प्राप्त की जाएगी। यदि उक्त परिवार सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है तो मकान मिलना चाहिए था इस सम्बंध में शीघ्र पूरी जांच कर परिवार की समुचित सहायता की जाएगी।

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