राकेश शर्मा: जसूर: 05.12.2018
कंडवाल से लेकर जौंटा तक के सर्कलों का फिर से मूल्यांकन करवाया जाए। कुल 11 पटवार सर्कलों के 31 महाल का मूल्यांकन एक समान कर फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुणा मुआवजा किया जाए ताकि फोरलेन की जद में आ रहे लोगों से किसी प्रकार का भेदभाव न हो और सबको एक समान मुआवजा मिल सके। अगर ऐसा नहीं होता है तो संघर्ष समिति व फोरलेन प्रभावित एक साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण का पुरजोर विरोध करेंगें और अपनी भूमि का अधिग्रहण भी नहीं होने देंगे। यह बात फोरलेन संघर्ष समिति के महासचिव सुदर्शन शर्मा ने प्रैस में जारी एक विज्ञप्ति में कही है। उन्होने नूरपुर प्रशासन द्वारा थ्री डी का कार्य पूरा करने के बाद 11 पटवार सर्कलों के 31 महालों की जमीन के मूल्यांकन के मापदंडों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग 154 पर प्रस्तावित फोरलेन योजना के लिए फोरलेन संघर्ष समिति नूरपुर की मांगों को नहीं माना गया तो संघर्ष समिति प्रभावितों के साथ उग्र आन्दोलन के लिए विवश हो जाएगी और अपनी भूमि का अधिग्रहण नहीं होने देगी। उन्होने कहा कि कंडवाल से जौंटा तक हो रहे अधिग्रहण में करीब 2500 परिवार इसकी चपेट में आयेंगे लेकिन विभिन्न पटवार सर्कलों का मूल्यांकन मुआवजा अलग अलग है जबकि उक्त क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है इसलिए एक समान फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुणा मुआवजा मिलने पर ही भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा होने दिया जाएगा। उन्होने कहा कि 11 पटवार सर्कलों के 31 महाल जिनमें कंडवाल, राजा का बाग, छतरोली, जाच्छ, नूरपुर 1 और नूरपुर , गहीं लगोड़, खैरियाँ, नागनी भडवार व् जौंटा आदि की लगभग 66 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना प्रस्तावित बताया जा रहा है। उन्होने कहा कि प्रशासन की तकनीकी चूक के चलते 11 पटवार सर्कलों का मुआवजा बहुत कम व् अलग अलग मूल्यांकन किया जा रहा है यह मूल्यांकन संघर्ष समिति को किसी भी सूतर में मंजूर नही है।
उन्होंने कहा कि नूरपुर क्षेत्र के बौड़ में भू-अधिग्रहण का नियम बिलकुल अनुचित है जिसमें नूरपुर 1 के तहत बौड़ क्षेत्र का सर्कल रेट मात्र 4000 रूपये प्रति मीटर जोकि कुल 76000 रूपये प्रति मरला बनता है लेकिन इसके साथ ही सटा लगभग 10 मीटर दूर महाल जाच्छ सर्कल में मूल्यांकन 8 हजार रूपये प्रति मीटर जो कि 1 लाख 60 हजार प्रति मरला बनता है यह दोहरा मापदंड क्यों? जबकि नूरपुर 1 के तहत का क्षेत्र अर्बन क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा कि कंडवाल से लेकर बौड़ तक कई बड़े व्यवसायिक संस्थान हैं और बौड़ क्षेत्र भी व्यापार का केंद्र बिन्दु है और यह क्षेत्र बहुत ही ज्यादा प्रभावित होने जा रहा है। मुआवजे की इतनी कम राशि में विस्थापितों को अन्य जगहों पर भूमि भी नहीं मिल पाएगी व्यापारिक संस्थान व घर बनाना तो दूर की बात है। सुदर्शन शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 10 दिन के भीतर मुआवजा व मूल्यांकन की दर को एक समान नहीं किया जाता है तो संघर्ष समिति उग्र रूप धारण करने को विवश होगी जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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