Thursday, December 13, 2018

सरकार, "बेटी पढ़ाओ" से पहले स्कूल में शौचालय तो बनवाओ

राकेश शर्मा: जसूर: 13.12.2018
सरकारी स्कूलों में वैसे ही अभिभावक अपने बच्चों को भेजने से कतराते हैं।  सरकारी स्कूलों की बदहाली को दूर करने के लिए सरकार कहिए या सिस्टम संजीदगी नहीं दिखा रहा। घोषणाएं तो बड़ी बड़ी लेकिन धरातल पर क्या हुआ यह सरकारी स्कूलों में दिन प्रतिदिन घटती विद्यार्थियों की संख्या खुद व्यां करती है। विकास खंड नूरपुर के तहत राजकीय माध्यमिक पाठशाला बदूई को स्तरोन्नत हुए अढ़ाई साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन स्कूल में एक शौचालय तक नही बन पाया है। पाठशाला में इस समय लगभग 35 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं सुरक्षा के लिहाज से जरूरी चारदिवारी का कहीं  कोई नामोनिशान तक नहीं है। टीवी पर सरकार विज्ञापन दिखाती है कि जिस घर में शौचालय न हो वहां अपनी बेटी की शादी न करें। लेकिन जहां वो बेटी पढ़ रही है वहां सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता? तो क्या सरकार खुद चाहती है कि सरकारी स्कूलों का वहिष्कार हो? अगर नहीं तो विद्यालयों में कम से कम मूलभूत सुविधाओं के लिए किसी न किसी की जिम्मेदारी तो तय होनी ही चाहिए। 
स्कूल प्रबंधन समिति कीे अध्यक्षा बृज बाला, सचिव विजय शर्मा व सदस्य डिंपल, अमन, सीमा, रेखा, अनीता का कहना है कि स्कूल में शौचालय ना होने के चलते विद्यार्थीयों खासकर लड़कियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। समिति का कहना है कि इस संदर्भ में संबधित विभाग को अवगत करवाया गया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा है और विद्यालय में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है। 
इस सबंध में विभाग के उपनिदेशक दीपक किनायत का कहना है कि स्कूल की चारदीवारी के निर्माण के लिए स्थानीय पंचायत से मनरेगा के तहत बनाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। शौचालय निर्माण हेतु स्कूल प्रशासन इस कार्यालय के साथ संपर्क करें ताकि प्रक्रिया अमल में लाई जा सके।

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