Monday, August 26, 2019

जानिए मृत बच्चे के जीवित होने की आस में क्या करती रही मां

राकेश शर्मा: जसूर: 26.08.2019


पठानकोट मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग 154 तथा साथ लगते मार्गों पर भारी तादाद में मौजूद बेसहारा पशु दुर्घटनाओं का शिकार होकर अपने प्राण गवां रहे हैं और कुछ गंभीर रूप से घायल हो कर सड़क किनारे पड़े रहने को बिवश हो रहे  हैं। वहीं वाहन चालकों के लिए भी मुसीबन का कारण बन रहे हैं। भारी वाहनों को तो कोई खास फरक नहीं पड़ता लेकिन छोटे खासकर दोपहिया वाहन चालकों की तो जान पर भी बन आती है। उपमंडल नूरपुर के तहत बौढ में रविवार रात को राष्ट्रीय राजमार्ग 154 पर एक अज्ञात वाहन की चपेट में आने से एक बछड़े की मौत हो गई। इस दुर्घटना का एक हृदय विदारक पहलू यह था कि बछड़े की मां रात से ही मृत बछड़े के उठ कर खड़ा होने की उम्मीद से अपनी जीभ से चाटती रही जिसे देख कर हर किसी की दिल पसीज रहा था।



वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिस स्थान पर बछड़े की मौत हुई है ठीक उसी के बगल में पिछले चार दिनों से अज्ञात वाहन की चपेट में आने से अपनीएक टांग गवा चुकी गाय पड़ी रही लेकिन उस बेसहारा गाय की सुध न तो तथाकथित गौरक्षकों ने ली और न ही प्रशासन ने। ऐसे में घायल गाय के लिए छतरोली निवासी बलदेव पठानिया एक फरिश्ता बन कर आगे आए और न केवल घायल गाय के लिए चारा पानी की व्यवस्था की बल्कि उस घायल गाय को गोसदन खज्जियाँ पहुंचाने की व्यवस्था भी की। बलदेव पठानिया ने सोमवार को पशुपालन विभाग नूरपुर से उक्त गाय को खज्जियाँ स्थित गोसदन में भेजने का अनुमति पत्र लेकर अपने खर्चे से वाहन द्वारा घायल गाय को उपचार के लिए खज्जियाँ स्थित गोसदन पहुंचाया।  

बेसहारा पशुओं को लेकर लोगों में भी भारी रोष है। लोगों को कहना है कि हर तरफ बेसहारा पशुओं के झुंडों के झुण्ड दिखाई देते हैं जो कि न सिर्फ वाहन चालकों के लिए मुसीवतों को कारण बन रहें हैं बल्कि खुद भी वाहनों कीे चपेट में आकर या तो अपनी जान गवां रहे हैं या गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं और फिर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता। बेसहारा पशुओं के उचित प्रबंध की जिम्मेदारी उठाने में न तो कोई विभाग आगे आता दिखाई देता है और न ही गौरक्षक।  

इस मामले में वरिष्ठ पशु चिकित्सक नूरपुर अस्पताल डाक्टर दिनेश परमार का कहना है कि घायल गाय का मामला संज्ञान में लाया गया है जिसे खज्जियां स्थित गोसदन में उचित ईलाज के लिए शिफ्ट किया जा रहा है।

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