Tuesday, August 28, 2018

दो टूक - नौकरी नहीं तो बोट नहीं

राकेश कुमार शर्मा: जसूर: 28.08.2018



अगर सारकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो आने वाले लोकसभा चुनावों में इसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। यह कहना है करूणा मूलक आधार पर नौकरी कस इंतजार कर रहे उन आश्रितों को जिनकी सरकारी नौकरी करते हुए मौत हो गई थी। प्रदेश सरकार को भेजे गए एक मांग पत्र में इन आश्रितों ने मांग की है कि जिन लोगों की सरकारी नौकरी के दौरान मृत्यु हो गई थी ऐसे व्यक्ति की या तो पत्नी या बालिग हो चुके आश्रित बेटा या बेटी में से एक को करूणा मूलक आधार पर शीघ्र अति शीघ्र नौकरी दी जाए। इन लोगों को कहना है कि आश्रितों को करूणा मूलक आधार पर नौकरी को पाने के लिए आज भी दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन सरकार उनकी कोई भी सुनवाई नहीं कर रही। उनका कहना है कि कमाने वाले परिवार के मुखिया खो देने वाले आज ऐसे अनेक परिवार हैं जिन्हें परिवार के पालन पोषण के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नही। ऐसे लोगों को प्रदेश सरकार से उम्मीद है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ऐसे लोगों के लिए शीघ्र निर्णय लेकर राहत प्रदान करेगी। आश्रितों का कहना है कि 2007 से अनेक परिवार इससे महरूम हैं और उन्हें नौकरी के नाम पर कोरे आश्वासन ही मिलते आ रहे हैं लेकिन अब उनके सब्र का बाँध टूटने बाला है। नूरपुर और इंदौरा क्षेत्र के कर्ण सिंह पठानिया, सतपाल सिंह, नरेंदर सिंह, संजीब जरियाल, बविता रानी, सुरेश पठानियां, राधा रानी आदि ने प्रदेश सरकार से गुहार लगाईं है कि सरकार ऐसे परिवारों से हमदर्दी जताते हुए इस बिषय में शीघ्र निर्णय लेकर आश्रितों को नौकरी प्रदान करे। साथ ही उन्होने चेतावनी भी दी कि अगर अगर सरकार अब भी नहीं जागी तो आने वाले लोकसभा चुनावों में इसका परिणाम भुगतने को तैयार रहे।  


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