Wednesday, August 29, 2018

SPEED POST नाम बड़े और दर्शन छोटे

राकेश कुमार शर्मा: जसूर: 29.08.2018



नाम बड़े और दर्शन छोटे, यह कहावत भारतीय डाक विभाग पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। कहने को तो डाक विभाग की स्पीड पोस्ट पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने का तीव्रतम माध्यम है और जिसके लिए उपभोगताओं को जेब भी ढीली करनी पड़ती है। उपभोगता इसी उम्मीद से डाकघर पहुंचता है कि उनके द्वारा भेजा जाने वाला पत्र जल्द गंतव्य तक पहुंचेगा। अपनी ही स्पीड से बोल्ड विभाग के स्पीड पोस्ट का आलम यह है कि एक महीना बीत जाने के बाद भी पत्र दिये गए पते पर नहीं पहुंच पा रहा। और शायद यही कारण है कि लोगों का विश्वास भारतीय डाक विभाग से उठ रहा है और इसी के चलते प्राईबेट कुरियर कंपनियां चांदी कूट रही हैं नूरुपर उपमंडल की हटली जम्बाला के पूर्व प्रधान नेत्र सिंह राणा ने डाक विभाग नूरपुर को दिये शिकायत पत्र में आरोप लगाया हैै कि उन्होने 23 जुलाई 2018 व 13 अगस्त 2018 को दो पत्र अलग अलग पतों पर डाकघर नूरपुर से स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजे जिसकी रसीद भी उन्होने साथ में संलग्न की है, लेकिन एक पत्र को एक महीने से ज्यादा तथा दूसरे के भेजे 15 दिन से उपर का समय हो गया है लेकिन दोनो पत्र दिये गए पते पर नहीं पहुंचे हैं। जब विभाग की बेवसाईट से आॅनलाईन चैक किया गया तो वहां पर भर भी आईटम डिलिवरी की कोई रिपोर्ट नहीं है। लोगों का कहना है कि विभाग को स्पीड पोस्ट का नाम बदल कर कछुआ चाल पोस्ट कर देना चाहिए।

वहीं इस संबध में डाकघर नूरपुर के पोस्ट मास्टर बरसो राम का कहना है कि उन्हे इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है। जानकारी हासिल करने के बाद ही वे कुछ बता सकते हैं। 

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