राकेश कुमार शर्मा: जसूर: 04.09.2018
शाहणों की गरीबी के हालात यह हैं कि परिवार के पास रहने के लिए खुद की छत तक नहीं है और और न ही कमाई का कोई अन्य साधन। शाहणो देवी के पास रहने के लिए अपना एक ही कमरा था लेकिन वोह भी अव रहने लायक नहीं बचा है और कभी भी गिर सकता है। वहीं शाहणो के पति के भाई ने अपने केबल दो कमरों के मकान मे से एक कमरा शाहणों और उसके बच्चों को रहने के लिए दिया हुआ है। लेकिन वो भी खस्ता हालत को पहुंच चुका है। इस सारे मामले में जब वार्ड नं दो की वार्ड सदस्य सुषमा देवी का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि शाहणों देवी गरीब परिवार से है और उसका नाम आईआरडीपी में होना भी चाहिए लेकिन जब पंचयात सचिव के पास आईआरडीपी की लिस्ट आई तो शाहणो देवी का नाम उस लिस्ट से गायव था।
वहीं सुल्याली के पूर्व प्रधान कृष्ण हीर का कहना है कि शाहणों देवी का नाम आईआरडीपी से क्यों काटा गया और उसकी दिव्यांग बेटी को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए चयन क्यों नहीं हो सका इस बात की जांच होनी चाहिए।
इस मामले में सुल्याली पंचायत के उपप्रधान नरेश कुमार का कहना है कि उन्हे इस बात का दुख है कि शाहणो देवी का नाम आईआरडीपी की लिस्ट से कैसे कट गया और उसकी बेटी का चयत भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए नहीं हो पाया। उन्होने कहा कि उन्हे इस बात की जानकारी नहीं है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के चयन के लिए सरकार के क्या मापदंड हैं
जब इस सारे मामले के संबध में खंड विकासा अधिकारी प्रकाश चंद से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होने अभी लिस्ट देखी नहीं है। लिस्ट की जांच के बाद ही इस सबंध में कुछ कहा जा सकता है।

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