Saturday, September 15, 2018

ठगने का काम छोड़ वायदे निभाए सरकार

राकेश शर्मा: जसूर: 15.09.2018

चुनाव के समय किसानों की आय दोगुनी किए जाने के वायदे किए गए थे लेकिन लगभग साडे चार साल बीत जाने के बाद हालात बद से बदतर हो गए हैं। हम सरकार से पूछना चाहते है कि कब और कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी। केंद्र सरकार ने जनता तथा किसानों से झूठे वायदे कर ठगने का काम किया है। यह कहना है भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष सुरेश पठानिया का। उन्होने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अभी हाल ही की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में भारी बरसात के कारण किसानों को बहुत ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होने कहा कि नूरपुर ब्लॉक के रिट, बदूही तथा खन्नी आदि इलाकों में बरसात के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं किसानों की सैंकड़ो कनाल भूमि बरसात के चलते खड्डों में तबदील हो चुकी है। सुरेश पठानिया ने आरोप लगाया कि प्रसाशन इन जगहों पर गया तो पहुंचा तो जरूर लेकिन किसान को मुआबजा मिलना तो दूर की बात वहां हुए नुकसान का आकलन तक नहीं हो पाया है। सुरेश पठानिया ने कहा कि किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है जिस से किसानों को बैंक लोन की किश्त चुकाना और परिवार को पालन पोषण करना बहुत की मुश्किल हो गया है। लेकिन सरकार द्वारा प्रभावित किसानों के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा। वहीं बैंक द्वारा भी किसानों को गूगल सैटिंग के जरिये मुआबजा दिये जाने का अजीव सा तर्क दिया जा रहा है जो कि आम किसान की समझ से परे की बात है। पठानियां ने कहा कि किसान जिसके नाम पर जमीन है और जो खेतीबाड़ी करता सबके लिए सिर्फ एक ही प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसमें जातिपाति का कोई भी रोल नही होना चाहिए। लेकिन इसमें भी किसनों को सिर्फ एससी-एसटी के लिए मुआव्जे का प्रावाधान कर जातिपाति के नाम पर लड़ाया जा रहा है। वहीं यह अन्य किसानो के साथ भी सरासर अन्याय है। किसान सिर्फ और सिर्फ किसान होना चाहिए एससी-एसटी या स्वर्ण नहीं।                
पठानिया ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के अतिरिक्त भी किसान को कई आपदाओं को सामना करना पड़ रहा है जिनमें डीजल का रेट बड़ने से बुआई मे प्रति घंटे होने वाले खर्च में 2 सौ से लेकर 3 सौ रूपये तक का अतिरिक्त खर्च किसानों को उठाना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त सब्जियों का दाम सब्जी मंडी में सिर्फ पांच से दस रुपये ही मिल पा रहा है लेकिन बाजार में यही सब्जी तीस से चालीस रुपये में बिक रही है। जिसमें विचैलिए भारी कमीशन खा रहे हैं और किसान को उसकी मेहनत का पैसा भी नहीं मिल पा रहा। सुरेश पठानियां ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकार को झूठे वायदे करने छोड़ कर शीघ्र की किसानों के लिए कोई ठोस और प्रभावी नीति बनानी चाहिए ताकि किसानों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर न होना पड़े।  

2 comments:

  1. Yaha b sc/st. Yeh toh hadd hai abh yeh log help b jati deakh k krege.

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    1. यही है आजकल राजनीति का स्तर

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