राकेश शर्मा: जसूर: 12.09.2018
कहते हैं खोटा सिक्का किस काम का? लेकिन खोटा सिक्का कब काम आ जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसा ही कुछ हिमाचल पथ परिवहन निगम के साथ भी हुआ। जहां प्राइवेट बस आप्रेटरों की हड़ताल हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए कमाई का सौदा सावित हुई वहीं निगम के लिए लो-फ्लोर नीली बसें भी कमाऊ पूत बन कर सामने आईं। उल्लेखनीय है कि पिछले कई महीनों से निगम की कार्यशालाओं में धूल फांक रहीं और खोटा सिक्का साबित हो रहीं लो-फ्लोर नीली बसों को निगम ने विभिन्न रूटों पर चला कर जहां लोगों को राहत देने का प्रयास किया वहीं 2 दिनों में निगम ने मोटी कमाई भी की। 10 और 11 सितंबर को प्राइवेट बस आप्रेटरों की हड़ताल के चलते हिमाचल पथ परिवहन निगम के पठानकोट डिपो ने इन लो-फ्लोर नीली बसों को सड़क पर दौड़ा कर लगभग अढ़ाई लाख की अतिरिक्त कमाई की। हड़ताल के पहले दिन पठानकोट डिपो ने लगभग 25 अतिरिक्त बसों को विभिन्न रूटों पर चला कर लगभग एक लाख का मुनाफा कमाया। जबकि हड़ताल के दूसरे दिन लगभग 40 अतिरिक्त बसें चला कर डेढ़ लाख से भी अधिक की कमाई की।
वहीं यात्रियों को राहत देने और कमाई के चक्कर में यातायात नियमों की धज्जियां भी खूब उड़ीं। नियमों को ताक पर रख कर क्षमता से कहीं अधिक सवारियों को बसों में भरा गया। कई बसों में तो यात्रीयें की संख्या दोगुनी से भी अधिक देखी गई। गनीमत रही कि कहीं कोई हादसा नहीं हुआ।
वहीं रिजनल मैनेजर एचआरटीसी पठानकोट विनोद ठाकुर ने कहा कि प्राइवेट बस आप्रेटरों की हड़ताल के चलते हमने लोगों की सुविधा के लिए पहले दिन 20 से 24 अतिरिक्त बसें चलाई जवकि दूसरे दिन 35 से 40 अतिरिक्त बसें चलाई ताकि लोगों को हड़ताल के चलते कोई असुविधा ना हो और हम इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। उन्होने कहा कि हमने 2 दिन में लगभग अढ़ाई लाख का मुनाफा कमाया है।
Private buses walo ki strike toh fail ho gye😁😁😁 chalo kahi toh enn logo ne dimag lagaya😉
ReplyDeleteक्रांतिकारी विचार
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