राकेश कुमार शर्मा: जसूर: 08.09.2018
पिछले 49 वर्षों से लगातार राजस्थान सरकार द्वारा पौंग बांन्ध विस्थापितों का शोषण किया जा रहा है। अपनी कीमती उपजाऊ भूमि की कुर्बानी देने के बाद लगभग दो पीढ़ियां इंसाफ के इंतजार में इस जहां को छोड़ गईं और अब पौंग बांध विस्थापितों की तीसरी पीढ़ी भी अपने हक के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि राजस्थान के रेगिस्तान में हरियाली केवल ओर केवल पौंग बांन्ध विस्थापितों के आंसुओं की बजह से ही सम्भव हो पाई है। लेकिन आंसू सैलाव बन कर सव बहा ले जाएं इससे पहले उनके साथ इंसाफ हो यह सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए। यह कहना है प्रदेश पौंग बांध समिति का।
शनिवार को प्रदेश पौंग बांध समिति की एक विशेष बैठक का आयोजन राजा का तालाब में समिति के प्रधान हंस राज चैधरी की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में प्रदेश भर से पौंग बांध विस्थापितों ने हिस्सा लिया। समिति के प्रधान हंस राज चैधरी, सचिव एमएल कौंडल, उपाध्यक्ष राम पाल वर्मा व संरक्षक डीएस ठाकुर ने संयुक्त रूप से राजस्थान की मुख्यमंत्री बसुंधरा राजे सिंधिया पर विस्थापितों के हितों से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि समाचार पत्रों में काफी समय से प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व राजस्थान की मुख्यमंत्री बसुंधरा राजे सिंधिया की पौंग बांध विस्थापितों के लंबित मसले को लेकर सात सितंबर को जयपुर में मुलाकात की खबरें आ रही थीं। हालांकि जय राम ठाकुर इस संबध में वहां पहुंच गए लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अपनी टालमटोल की नीति को छोड़ नहीं रहीं। मुलाकात का समय निश्चित होने के बाद भी रजस्थान की मुख्यमंत्री का मुलाकात न करना प्रदेश के मुख्यमंत्री का सरासर अपमान है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने ज्वालामुखी में पौंग बांध विस्थापितों के मसले पर बुलाई मीटिंग में भी तय कार्यक्रम के बावजूद न आकर अपनी मानसिकता जाहिर कर दी थी।
प्रदेश पौंग बांध समिति की मांग है कि विस्थापितों को जिला गंगानगर में आरक्षित भूमि पर बसाया जाए या फिर नर्मदा व रेणुका बांध की तर्ज पर नौ करोड़ का मुआबजा दिया जाए। समिति का कहना है कि अगर यदि इन मांगों को नहीं माना जाता है तो समिति समिति को मजबूर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा और सरकारों को इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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