Thursday, November 28, 2019

ठंगर स्कूल के मासूमों की चिंता किसी को नहीं : मुख्यमंत्री सेवा संकल्प योजना भी फेल




राकेश शर्मा: 28 नवंबर 2019



सवाल यह है कि अगर एसडीएम से लेकर विधायक तक भवन की जर्जर हालत देख चुके हैं, मुख्यमंत्री सेवा संकल्प में भी शिकायत की जा चुकी है और वीपीओ जो मौके का दौरा करने के बाद कहते हैं कि डिप्टी डायरेक्टर को बता दिया था। क्या इतने में ही इन सब के कर्तब्य की इतिश्री हो जाती है? मासूम बच्चों की चिंता किसी को भी नहीं? अगर कोई हादसा होता है तो तब क्या बहाना बनाया जायेगा? हादसा होता है तो दर्द किसे होगा? इनमे से शायद किसी को नहीं और शायद यही कारण है कि इस समस्या का कोई हल आज दिन तक नहीं निकल सका। 






विकास खंड नूरपुर की पँचायत कमनाला के राजकीय प्राथमिक पाठशाला ठंगर स्कूल के बच्चे लम्बे समय से खौफ के साए में पढ़ने को मजबूर हैं। लेकिन प्रशासन है कि कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है। और शायद किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है। इस संबंध में कई बार स्थानीय प्रशासन और सरकार को अबगत करवाया जा चूका है लेकिन आज दिन तक शासन प्रशास के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। 



स्थानीय पंचायत प्रितिनिधियों से लेकर सीएम हेल्पलाइन 1100 कॉल सेंटर के माध्यम से इस सबंध में सूचित किया जा चूका है लेकिन हर तरफ से निराशा ही हाथ लगी है। 



स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चों की चिंता किसी को भी नहीं। शायद इसलिए की न तो किसी अधिकारी और न ही किसी राजनीतिज्ञ का बच्चा इस स्कूल में पढ़ता है। अगर ऐसा होता तो शायद तस्वीर कुछ और होती। 



ठंगर गांव के निवासी राकेश कुमार ने बताया कि राजकीय प्राथमिक पाठशाला ठंगर का भवन गिरने की कगार पर है। इस सबंध में मुख्यमंत्री हेल्प लाइन में इसकी शिकायत डाली थी। मुख्यमंत्री सेवा संकल्प - शिकायत विवरणी, शिकायत क्रमांक 65005 दिनांक- 19/09/2019,  लेकिन वहां से दो माह बाद जबाब आता है कि आपकी शिकायत को बरिष्ठ स्तर से बंद कर दिया गया है। 



लेकिन जमीनी स्तर पर इस शिकायत पर कोई भी कार्रवाही नहीं हुई है। बिना शिकायत के उचित समाधान के शिकायत को बंद कर देना समझ से परे है। सरकार ने अगर हेल्प लाइन शुरू की है तो शिकायत का उचित समाधान भी करना चाहिए। 



ऐसा न करके सरकार मुख्यमंत्री सेवा संकल्प के नाम पर न सिर्फ आम लोगों की आँखों में धूल झोंकने का काम कर रही है बल्कि समय और  पैसे की बर्बादी भी की जा रही है।






पूर्व वार्ड सदस्य रेखा देवी ने बताया कि इस स्कूल के लिए गांव बालो ने जगह दान में दी थी। ताकि हमारे बच्चे यही गांव में पढ़ सकें। क्योंकि बच्चो को पढ़ने के लिए काफी दूर जाना पड़ता था। लेकिन स्कूल के जर्जर हालत के चलते बच्चों की संख्या कम से कम होती जा रही है। 



 खस्ताहाल भवन की शिकायत काफी बार कर चुके है, मौके पर एसडीएम नूरपुर व विधायक तक भी आ चुके हैं लेकिन सब मौन बने हुए हैं। रेखा देवी ने कहा कि अगर कल कोई घटना हो जाती है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा।



इस मामले में जब वीपीओ नूरपुर योगेश शर्मा से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि एसडीएम नूरपुर सुरिंदर ठाकुर के साथ उन्होंने स्कूल का विजिट किया था और स्कूल के कमरे को देख उसको गिराने के लिए डिप्टी डारेक्टर को बता दिया था।






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