Tuesday, November 5, 2019

फोरलेन लोक बॉडी पठानकोट- मण्डी NH आमरण अनशन: क्या बात स्थानीय शासन प्रशासन से परे राष्ट्रपति तक पहुंच गई है?



राकेश शर्मा: जसूर: 05 नवंबर 2019


आम व खास में बीच चर्चा का विषय बन चुका नूरपूर मे फोरलेन लोक बॉडी (पठानकोट- मण्डी NH) के  राजेश पठानिया का आमरण अनशन आज आठवें दिन भी जारी रहा। एक और दिन लेकिन सरकार या प्रशासन की और से कोई भी उनसे मिलने या हाल चल जानने नहीं आया। इस से फोरलेन लोक बॉडी के सदस्यों में सरकार व खासकर नूरपुर के विधायक के प्रति काफी रोष वढ़ता जा रहा है।


मंगलबार को आमरण अनशन के समर्थन में भलेटा पँचायत के प्रधान विक्रम पठानिया उर्फ छुन्ना ने कहा कि आज आठ दिन हो गए हैं आमरण अनशन को लेकिन लगता हैं सरकार व प्रशासन से इस मुद्दे को मज़ाक में ले रही है। उन्होंने कहा की अगर यहाँ से एक जान जाएगी तो पीछे ओर भी पच्चास लोग जान देने के लिए तैयार बैठे हैं लकिन अब हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।


मंगलवार को ज़िला परिषद सदस्य उदय सिंह पठानियाँ,  शाम सिंह बीडीसी गुरचाल, खेम राज बीडीसी खजन हटली जम्वालां, अशोक कुमार बीडीसी खन्नी उपरली हडल, इंदर सिंह एक्स बीडीसी कोपड़ा, कुशल रिम्पा एक्स प्रधान कोपड़ा, अशोक पठानियाँ आखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा संगठन प्रांत प्रचारक आदि लोगो ने आमरण अनशन पर बैठे फोर लेन लोक बॉडी के राजेश पठानिया व उनके साथ बैठे सदस्यों के कुशलक्षेम जाना और कहा कि नूरपुर मेँ लोगों का रोष बढ़ रहा है और यदि सरकार का रवैया यूँ ही उदासीन बना रहा तो हो सकता है कि आंदोलन का स्वरूप ही बदल जाये।


फ़ोरलेन प्रभावित स्थानीय निवासियों खासकर महिलाओं ने स्थानीय विधायक की कार्यप्रणाली  पर भी सवालिया निशान उठाये हैँ। उन्होने कहा विधायक ने नूरपुर फ़ोरलेन प्रभावितों की समस्याओं को न तो मुख्यमंत्री के पास रखा और ना ही अनशन पर बैठे फोरलेन लोक बॉडी के सदस्यों व प्रभावितों की सुध लेने आये।


वहीँ मंगलबार को फोरलेन लॉक बॉडी पीड़ितों की ओर से आठ दिन से आमरण अनशन पर बैठे राजेश पठानिया ने माननीय महामहिम राष्ट्रपति भारत के सचिवालय से बात की। राजेश पठानिया के अनुसार वहां फोरलेन लोक बॉडी पीड़ितों की समस्या को विस्तार से सुना गया व ईमेल आईडी पूछी और उसका समाधान करने हेतु आश्वस्त किया गया है।


ऐसे में आम लोगों का कहना है कि इस मामले में अगर महामहिम राष्ट्रपति कार्यालय की और से कोई कदम उठाया जाता है तो इसमें हिमाचल सरकार, स्थानीय विधायक व शासन प्रशासन का क्या रुख होगा? 


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