Tuesday, October 23, 2018

मानव देह धारण के असली लक्ष्य को जीव भुला बैठा है

राकेश शर्मा : जसूर : 23.10.2018

पिछले जन्म में कोई अच्छे कर्म किये होंगें जो इस जन्म में हमें मानव देह मिली और उससे भी बढ़ कर हमें श्रीमद भागवत कथा श्रवण का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। संतसंग की माया हर किसी को नहीं मिलती। चौरासी लाख योनियों को भुगतने के बाद मिली दुलर्भ मानव देह पाकर भी जिस मन में हरि का चिंतन नहीं वह मन नहीं अपितु श्मशान भूमि के समान है। इसलिए अपने हृदय श्री हरि का चिंतन कर उस शमशान को आप सुंदर फूलों की वगिया में तब्दील कर सकते हैं। मंगलबार को श्री दुर्गा माता मंदिर जसूर में श्रीमद भागवत कथा के ज्ञान रस की धारा जव सातवें दिन में प्रविष्ट कर गई तो कथाव्यास आचार्य सतीश शास्त्री जी ने यह अमूल्य बचन कहे। उन्होने कहा कि बड़ी मुश्किलों को पार कर जीव को यह मानव देह की प्राप्ति होती है, लेकिन संसार में आते ही जीव सांसारिक मोहमाया और
क्रियाकलापों में पड़ कर इस देह धारण के असली लक्ष्य को भुला बैठता है। उन्होंने कहा कि सांसारिक माया तो क्षणिक और पानी के बुलबुले के समान है और पल भर में यह मिट जाएगी। इस संसार में अगर कुछ स्थिर और स्थाई है तो वो केवल और केवल हरि का नाम है, जिसके सिमरन मात्र से ही जीवात्मा का कल्याण संभव है।
इस मौके पर महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा मालविका पठानियां, ट्रस्ट चेयरमैन गोविन्द पठानियां, कमनाला पंचायत प्रधान रजनी महाजन, पूर्व विधायक केवल सिंह पठानिया, पंडित हंसराज शर्मा, अरविन्द शास्त्री, सतपाल शास्त्री, बिट्टा बंसल, राजेन्द्र चैहान, अंकित वर्मा सहित सैंकड़ों प्रभु प्रेमियों ने श्रीमद भागवत कथा रस का पान किया। 

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