Sunday, October 7, 2018

बिडंबना: पहले पानी से तबाही और अब बिना पानी के बर्बादी

राकेश शर्मा: जसूर: 07.10..2018

कहीं तो बरसात के कहर से फसलें बरबाद हो गईं और जहां थोड़ी बहुत बची वहां पानी न मिलने के कारण फसलें सूख रही हैं। यह बिडंबना है गंगथ के साथ डागला और अटाहड़ा गांव की जहां के किसानों की सैंकड़ो कनाल भूमि में लगी धान की फसल विना पानी के बरवाद हो रही है। किसान अपने स्तर पर कूहल को ठीक करने की कोशिशें कर रहें है लेकिन कोई खास कामयावी उन्हे नहीं मिल पा रही है। स्थानीय किसानों बलदेव सिंह पठानियां, सूबेदार बिशन सिंह, सुनीत सिंह, कुलदीप सिंह, जीवन सिंह, स्वरूप सिंह पठानियां, शमशेर सिंह, और नसीब सिंह का कहना है कि दो महीने पहले भारी बरसात के कारण छौंछ खड्ड के कुदरती पानी से किसान वर्ग द्वारा निजी धन से बनाई कूहल का डंगा बह जाने के कारण अब किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा जिससे धान की फसल बरबाद हो रही है। किसानों की आर्थिक स्थित अव ऐसी नहीं कि जल्द से जल्द कूहल का पुनर्निर्माण करवा सकें। लोगों को कहना है कि इस बरसात में अटाहड़ा, डागला तथा रिट सहित कई गांवों की सैंकड़ों कनाल उपजाऊ भूमि बाढ़ की भेंट चढ़ गई और और जो बच गई है वो विना सिंचाई के बरवाद हो रही है जिससे किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। किसानों ने प्रशासन तथा विधायिका रीता धीमान से मांग की है कि शीघ्र अति शीघ्र भंदोड़ से डागला तक पक्की कूहल का निर्माण करवा कर यहां के किसानों को राहत प्रदान कर बरवाद होने से बचाया जाए। 

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