राकेश शर्मा: जसूर: 22.10.2018
देश में अंग्रेजों तथा मुगलों के समय रखे विभिन्न शहरों व जगहों के नाम बदलने की कवायद के बीच अव हिमाचल की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाल नूरपुर का नाम बदलने की मांग भी उठनी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में विश्व हिन्दु परिषद जिला नूरपुर इकाई ने एसडीएम नूरपुर के मायध्म से प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में नूरपुर को नाम बदल कर देश के प्रथम शहीद बजीर राम सिंह पठानिया के नाम पर रखने की मांग करते हुए कहा है नूरजहां के नाम से पड़ा नूरपुर का नाम जहां मुगल दासता का प्रतीक है जवकि शहीद बजीर राम सिंह पठानिया का नाम शौर्य और वीरता का प्रतीक है। उल्लेखनीय है कि जिस वीर महापुरूष ने 1857 से भी 10 वर्ष पहले 1846 ई. में राष्ट्रभक्ति कीे प्रेरणा से प्रेरित होकर अपनी मातृभूमि की संवतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए तत्कालीन विश्वशक्ति ब्रिटिश सत्ता के षड़यंत्रों को विफल करने के लिए सीमित संसाधनो के बावजूद स्थानीय क्षेत्र की युवा शक्ति को संगठित करके अपने साहस और पराक्रम के बल पर 3 बर्ष, 1846 से 1849 तक लगातार छापामार युद्ध द्वारा सशस्त्र संघर्ष करते हुए ब्रिटिश शासकों को सीधी चुनौती दी थी वह बजीर राम सिंह पठानिया ही थे।
अंग्रेजो द्वारा छल करके पकड़े जाने के बाद कांगड़ा जिला की तत्कालीन अदालत द्वारा पठानिया जी पर राजद्रोह, कत्ल, लूटपाल एवं आगजनी जैसे आरोप लगा कर मुकदमा चलाते हुए मृत्यु दंड की सजा दी गई थी जिसे कि बाद में आजीवन कारावास में बदलते हुए तत्तकालीन गवर्नर जनरल ने रंगून की मैलोमियन जेल में भेज दिया था। जहां पर उन्होने ब्रिटिश शासकों ने उन्हे विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिये लेकिन उस वीर स्पूत ने अंग्रेजों के सभी प्रलोभनो को ठुकराकर भीषण यातनाएं सहना मंजूर किया और अंततः 11 नवंबर 1856 को अपने प्राण भारत माता के चरणों में न्योछावर कर दिये। बजही राम सिंह पठानिया की शहादत से प्रेरणा पा कर ही भावी पीढ़ीयों द्वारा भारत माता को अंग्रेजो की पराधीनता से मुक्ति दिलवाने का शुभकार्य संभव हो पाया। और उसी का परिणाम है कि आज हम सव आजाद भारत में साँस ले पा रहे हैं।
इस मौके पर विभाग अध्यक्ष उदय सिंह, प्रांत सुरक्षा प्रमुख सभ्य लोहटिया, प्रचार प्रसार जिला प्रमुख शेखर पठानियां, प्रखंड कार्यअध्यक्ष ऋषी डोगरा, प्रखंड मंत्री राजेश पठानियां तथा विश्व हिन्दु परिषद तथा बजरंग दल के अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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