राकेश शर्मा: जसूर: 27.10.2018
अनुसूचित जनजातीय-अनुसूचित जाति वर्ग के 60 छात्रों के लिए वर्ष 2009 में 1 करोड़ 30 लाख की लागत से बनाए गए छात्रावास की इमारत नूरपुर में स्थानीय प्रशासन ने मनमाने ढंग से विभिन्न कार्यालय खोल कर अनुसूचित जनजातीय-अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकारों पर कुठाराधात किया। बार बार अनुरोध के बाद भी इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही और अनुसूचित जनजातीय-अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को उनका हक नहीं मिल रहा जिससे उन्हे भारी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। यह कहना है अखिल भारतीय गद्दी जनजातीय
विकास समिति के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष मदन भरमौरी का। शनिवार को उनहोने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनजाति आयोग उपाध्यक्ष अनुसुइया उइके के नूरपुर दौरे के दौरान उन्हें ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाते हुए कहा है कि नूरपुर के चैगान स्थित सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के समक्ष अनुसूचित जनजातीय, अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के लिए बनी इमारत नूरपुर के स्थानीय प्रशासन ने मनमाने ढंग से मापतोल विभाग, पशु चिकित्सालय, प्रदूषण बोर्ड तथा नशा निवारण केंद्र स्थापित कर दिए गए हैं जो कि अनुसूचित जनजातीय, अनुसूचित जाति वर्ग के साथ सरासर अन्याय है। उन्होने कहा कि प्रशासन की इस कारगुजारी पर प्रशासन के उच्चधिकारियों के समक्ष भी इस बारे कई बार आपत्ति दर्ज करवाई गई लेकिन स्थिति जस की तस ही बनी हुई है। प्रशासन द्वारा आज तक इस मामले को गम्भीरता से नही लिया गया है। बार बार आग्रह कि बावजूछ भी कोई उचित कार्यवाही न करना व असमंजस की स्थिति में रखना प्रशासन की इस कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। इस तरह मनमाने ढंग से अनुसूचित जाति-जनजातीय वर्ग के छात्रों के हक का हनन करना किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नही है। प्रशासन की इस कार्यप्रणाली पर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के छात्र वर्ग में भारी रोष व्याप्त है।
मदन भरमौरी ने अनुसुइया उइके से मांग करते हुए कहा कि इस संबध में शीघ्र अति शीघ्र उचित कार्यवाही करते हुए अनुसूचित जनजातीय, अनुसूचित जाति वर्ग के छा़त्रों के लिए बने छात्राबास को उक्त विभागों के न्जायज कब्जे से मुक्ति दिला कर अनुसूचित जाति वर्ग के छा़त्रों सौंपा जाए ताकि इनके साथ न्याय हो सके। वहीं नूरपुर के टीका कदरोह पंचयात खैरिया में वन भूमि पर राजकीय बरिष्ट माध्यमिक पाठशाला खैरिया द्वारा साइंस ब्लॉक के निर्माण हेतू वन भूमि की आवश्यकता है। इससे आस पास के जनजाति वर्ग के लोगो व उनके बच्चो को बेहतर शिक्षा प्राप्त होगी। जिससे यह वर्ग आगे बढ़ेगा। जिसके कारण समस्त जनजाति वर्ग शिक्षित होगा और कोई भी जनजाति वर्ग विस्थापित नही होगा।
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