Saturday, October 20, 2018

जसूर में चौथे दिन भी अमृत वर्षा

राकेश शर्मा: जसूर: 20.10.2018

श्री दुर्गा माता मंदिर जसूर में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान महायग्य की चौथी संध्या पर  भागवताचार्य आचार्य सतीश शास्त्री ने अमृत वर्षा करते हुए कहा कि कलियुग में परमात्मा का भजन ही जीव के समग्र दुखों का नाश करने में का एकमात्र साधन है। लेकिन उसके लिए इन्द्रियों को वश में कर सम्पूर्ण समर्पण भाव से उस प्रामात्मा को याद करने पर ही समस्त दुखों को नाश संभव है। भागवताचार्य आचार्य सतीश शास्त्री ने ज्ञान पुष्प वरसाते हुए कहा कि जब-जब भी धरा यानी धरती, धेनू यानी गौवंश और संतो पर अधर्मियों ने जुल्म किये हैं तो प्रभु ने न केवल नर देह धारण कर इन तीनों के दुखों का हरण किया बल्कि पापियों का भी संहार किया। उन्होन एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब गोकुल में कंस के पाप चरम सीमा को पार कर गए तो गोकुल वासियों ने पूरे समर्पण भाव से हरी को याद किया और अपने भक्तों को निराश न करते हुए श्री हरी ने नर देह धारण कर न केवल बाल कृषण के रूप में अवतरित हुए बल्कि कंस के पाप का अंत कर संतों और भक्तों की रक्षा भी की।
भागवताचार्य आचार्य सतीश शास्त्री ने कहा कि प्रेम व भक्ति का पौधा सत्संग में ही जाकर फल फूल सकता है। और यदि प्रभु को पाना है तो मन में प्रेम व भक्ति के बीज को अंकुरित करना पडेग और सत्संग रूपी अमृत से सिंचित हो कर ही अंकुरित होगा।  उन्होने कहा कि जस प्रेम व भक्ति का यह पौधा बरगद बन जाएगा तो एक दिन स्वतः ही जीवात्मा का उस परमात्मा से मिलन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मन में प्रेम व भक्ति के इस बीज को अंकुरित कर ही मीरा, शवरी, ध्रुव, प्रहलाद और गोकुल की गोपियों ने प्रभु को पाया।  
भागवत कथा ज्ञान महायग्य की चौथी संध्या पर भगवान् के बाल स्वरूप का दर्शन कर जसूर में नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल के घोष से पेरा पंडाल गूँज उठा। 
इस पुण्य अवसर पर नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा मालविका पठानिया, मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन गोविन्द सिंह पठानिया, मंदिर महंत पंडित हंस राज शर्मा, अरविन्द शास्त्री सहित भारी संख्या में गणमान्यों सहित मातृ शक्ति व अन्य मौजूद रहे।

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