राकेश शर्मा: जसूर: 21.11.2018
हिमाचल में क्षय रोग की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष 13 से 14 हजार टीवी के नए मामले सरकारी आंकड़ों में दर्ज हो रहे हैं जबकि निजी अस्पतालों से 8 से 9 हजार तक अनुमानित टीवी के रोगी दवा ले रहे है। लेकिन निजी हस्पतालों से मात्र आंकड़ा एक हजार के करीब आ रहा है। जिनमें कांगड़ा जिले से ही हर साल लगभग 3000 से ज्यादा टीवी के नये मामले दर्ज होते हैं। यह बात प्रदेश के डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट डॉ रविंद्र कुमार ने नूरपुर अस्पताल में मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के अंतर्गत केमिस्टों के साथ टीवी की दवाइयों के रखरखाव की कार्यशाला के दौरान कहे।
उन्होंने कहा की टीवी एक घातक वीमारी के तौर पर सामने आ रहा है और जिस को खत्म करने के लिए केमिस्टों को सामूहिक सामाजिक योगदान के लिए आगे आना होगा, क्योंकि टीवी रोगी व स्वास्थ्य विभाग के मध्य केमिस्ट् एक कड़ी का कार्य करता है। उन्होंने शड्यूल एच्1 के अंतर्गत चालीस में से चैदह टीवी की दवाइयों के उचित क्रय विक्रय के प्रबंधन पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी और इसके अंतर्गत रजिस्टर को सही ब उचित ढंग से बनने की प्रक्रिया बताई। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आर के सूद ने बताया कि टीवी की दवा का अधूरा कोर्स करने से व्यक्ति एमडीआर (टीवी की उच्चावस्था) तक पहुंच जाता है और जिससे उसके परिवार व सम्पर्क में आने बाले लोगों को टीवी का रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर सूद ने कहा कि कांगड़ा जिले में टीवी के उन्मूलन के लिये पंचायत स्तर तक कार्यशाला की जा रही है और 2025 तक जिला कांगड़ा को टीवी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। उपमंडलीय दवा निरीक्षक अधिकारी विकास ठाकुर ने दवा विक्रेताओं को बिना पर्ची के शड्यूल एच1 ब टीवी की दवा ना देने की सलाह दी। उन्होंने बिना पर्ची के टीवी की दवा देने पर कड़ी कारवाई करने की भी चेतावनी दी। इस मौके पर के नूरपुर, फतेहपुर, इंदौरा, ज्वाली के 100 से अधिक दवा विक्रेता इस कार्यशाला में मौजूद रहे।
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