Sunday, November 11, 2018

अफसरशाही के हाथों की कठपुतली हिमाचल प्रदेश सरकार

राकेश शर्मा: जसूर: 11.11.2018

हिमाचल प्रदेश सरकार अफसरशाही के हाथों मे खेल रही है। सरकार अपने वायदे से पीछे हटकर और अफसरशाही की बात मानकर फोरलेन प्रभावितों को फैक्टर 2 के हिसाब से मुआवजा ने देकर फैक्टर 1 के हिसाब से मुआवजा देने की बात से सरकार का असली चेहरा सामने आ रहा है और उसकी कथनी और करनी में भी अंतर साफ नजर आने लगा है। या तो सरकार निरंकुश हो चुकी है जो प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार के भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की बातों की अनदेखी कर अफसरशाही के निर्णयों को तरजीह दे रही है। सरकार में विवेक की कमी की चलते ही सरकार अफसरशाही के हाथों की कठपुतली बन कर रह गई है। यह आरोप प्रदेश कांग्रेस महासचिव एवं नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने प्रदेश सरकार पर लगाते हुए कहा कि चुनावों के दौरान भाजपा ने अपने विजन डाक्युमेंट में प्रदेश में होने वाले भूमि अधिग्रहण के दौरान प्रभावितों को फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुना मुआवजा देने की बात स्पष्ट तौर पर कही थी। लेकिन अव सरकार अपने वायदे से मुकर रही है। महाजन ने कहा कि फैक्टर 1 को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा और प्रदेश फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति व् अन्य समितियों के साथ मिलकर प्रभावितों की हक के लिए संघर्ष को और तेज किया जाएगा। 
महाजन ने कहा कि अभी हाल ही में केंद्र सरकार के भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी चंडीगढ़ में पत्रकार वार्ता में यह स्पष्ट शब्दों में कहा था कि हिमाचल में  फोरलेन प्रभावितों को मुआवजे का निर्णय राज्य सरकार को करना है। लेकिन यदि प्रदेश सरकार फैक्टर 2 का प्रस्ताव दे तो केंद्र को फैक्टर 2 के हिसाब से मुआवजा देने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार गडकरी की बात की भी अदनेखी कर रही है। 
वहीं महाजन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक तौर पर फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुना मुआवजा व् प्रभावित परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी लेकिन प्रदेश सरकार प्रधानमन्त्री के मन की बात, अपने विजन डाक्युमेंट में किये गए वायदे और केन्द्रीय मंत्री की बात मानने को भी तैयार नहीं है और जो मुआवजे के संबध में अफसरशाही जो निर्णय ले रही है उसी को आंखे मूंद कर लागू करने पर तुली हुई है जो कि फोरलेन प्रभावितों को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। 
उन्होंने कहा कि वह फोरलेन के विरोधी नहीं हैं लेकिन पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग की प्रस्तावित फोरलेन योजना में नूरपुर से लेकर मंडी तक करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों के हजारों लोग उजड़ेंगे जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगती बहुमूल्य भूमि चपेट में आएगी तो वहीँ लोगों के रिहायशी मकान व् कारोबारी परिसर भी पूरी तरह तबाह हो जायेंगे। जिन्हें पुनर्वासित होने में काफी खर्च आयेगा जिसके लिए प्रदेश सरकार को बड़ा दिल दिखाकर आगे आना चाहिए था लेकिन वर्तमान में ऐसा कहीं दिख नहीं रहा।  
उन्होंने कहा सबसे ज्यादा पौंग डैम ओस्ती जो कि पहले ही करीब पचास बर्षों से अपने हकों की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं उन्हें अपने हकों को पाने के लिए अभी भी संघर्ष करना पड़ रहा है।विस्थापित हुए यह लोग इस क्षेत्र में वामुश्किल स्थापित हो रहे थे और फोरलेन के चलते उन्हें एक बार फिर विस्थापन का दंश झेलने के मजबूर होना पड़ रहा है। महाजन ने प्रदेश सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश सरकार अफसरशाही की बात को न मानकर अपने विवेक से काम ले अपनी कथनी और करनी को सही साबित करे। प्रभावित लोगों, प्रदेश फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति व् अन्य समितियों की मांगों को मानकर फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुना मुआवजे का प्रावधान, तथा प्रभावित परिवार के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देकर अपने विजन डाक्यूमैंट, प्रधानमंत्री तथा केंद्रिय भूतल परिवहन मंत्री की बातों को मान रखे ताकि फोरलेन प्रभावितों के साथ न्याय हो सके। 

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