राकेश शर्मा: जसूर: 20.11.2018
नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने प्रैस को जारी एक विज्ञप्ति में स्थानीय विधायक राकेश पठानिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री जय राम के नूरपुर दौरे के दौरान स्थानीय विधायक एक वार फिर अपने विधानसभा क्षेत्र में फोरलेन प्रभावितों कीे आवाज मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में असफल रहे हैं। उन्होने कहा कि कंडबाल से भेड़खड्ड जौंटा तक हजारों लोगों की जमीन, मकान और व्यवसायिक स्थल इसकी जद में आ रहे हैं और लोग फैक्टर 2 के तहत मुआबजा चाहते हैं लेकिन विधायक ने उनकी इस मांग को मंच पर उठाना उचित ही नहीं समझा। ऐसा उन्होने दूसरी वार मुख्यमंत्री के नूरपुर आगमन पर किया है जो कि प्रभावितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने पहले दौरे के दौरान नूरपुर अस्पताल को 200 विस्तर का दर्जा 22 डाक्टरों के पद सृजित कर तो मंजूर कर दिया लेकिन अभी तक नूरपुर अस्पताल में 14 डाक्टर ही तैनात हैं जबकि कांगे्रस सरकार के समय 17 डाक्टर तैनात थे। इसके अतिरिक्त हिमाचल में कहीं भी अस्पताल का दर्जा 200 विस्तर का किया है वहां 32 डाक्टरों के पद सृजित किए गए हैं। तथा मातृ शिशु अस्पताल जिसका शिला न्यास कांगे्रस सरकार के समय में हुआ था जिसके लिए 10 करोड़ की राशि मंजूर थी उसका काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इससे प्रतीत होता है कि हिमाचल सरकार नूरपुर के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होने आरोप लगाया कि जिन पेयजल योजनाओं का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने किया है उनमें से नागनी के साथ लगते गांव के लिए पेयजल योजना तथा खेल, मोह, बरियाड़ा पेयजल योजना पूर्व कांग्रेस सरकार मे मेरी विधायक प्राथमिक्ता मे से हैं जिसे ब्रिकस में 1ए, 1 संबर्द्धन में आधार शिला रखनी चाहिए थी उसे 2 व 3 के संबर्द्धन में रखा जिसमे अभी तक 1 का काम भी शुरू नहीं हुआ है। उन्होने फिन्ना सिंह स्कीम में 5 करोड़ की घोषणा को ऊंट के मुंह मे जीरा जैसी बताया। उन्होने कहा कि हिमाचल फिन्ना सिंह नहर परियोजना में अपना शेयर पूर्व कांगेस सरकार के समय मे ही खर्च कर चुका था। बकाया 150 करोड़ की राशि केन्द्र सरकार से मिलनी थी जिसे विधायक व हिमाचल सरकार दिलाने में नाकामयाव रही है। और 150 करोड़ के बदले मात्र 5 करोड़ की घोषणा कर जनता को मूर्ख बनाने का नाकाम प्रयास कर रही है। उन्होने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने अपने पिछले नूरपुर दौरे के दौरान घोषणाएं की थीं उनमें से अधिकांश घोषणाएं अधूरी हैं और कांग्रेस सरकार के समय में लाई गई योजनाओं का काम भी ठप्प पड़ा हुआ है। यह कहीं न कहीं सरकार की और स्थानीय विधायक की नालायकी को दर्शाता है।
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