राकेश शर्मा: जसूर: 19.11.2018
कभी न भूलने वाला नूरपुर के पास स्थित चेली गांव बस हादसा ना जाने हादसे का शिकार बच्चों के परिजनों के और कितने इम्तहान लेगा। हादसे की जांच की मांग करते करते अव परिजनों के पास शायद शब्द भी खत्म हो चुके हैं लेकिन 28
मासूम जिन्दगियों को लील लेने वाले हादसे की जांच के लिए सरकार की ओर से अभी तक धरातल पर कुछ भी किया गया नजर नहीं आ रहा है ताकि हादसे के दोषियों को सजा मिल सके और विना किसी गुनाह के अपनी जान गंवा चुके बच्चों की आत्मा और उमर भर के लिए अपने जिगर के टुकड़ों को खाने वाला दर्द अपने दिल पर लिए उनके परिजनों को इंसाफ मिल सके।
सोमवार को जव प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने नूरपुर दौरे पर थे
उधघाटन और घोषणाएं हो रहीं थी वहीं दूसरी ओर समाजसेवी संजय शर्मा व अन्यों सहित हादसे का शिकार हुए बच्चों के परिजनों ने नूरपुर अस्पताल स्थित उस स्थान पर जहां मृत बच्चों के शरीर को उनके परिजनों को सौंपा गया था वहां पर मृत बच्चों के चित्रों के आगे मोमबतियां जला कर उनकी आत्मा की शांती के लिए प्रार्थना की। तत्पश्चात इंसाफ की मांग को लेकर एक मौन जलूस निकाला जो नूरपुर अस्पताल से शुरू हो कर बौढ स्थित मुख्यमंत्री के सभा स्थल मैपल फार्म तक चला। उल्लेखनीय है कि अपने नूरपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री मैपल फार्म में एक
जनसभा को संबोधित कर रहे थे। समाज सेवी संजय शर्मा तथा मृत बच्चों के परिजन बच्चों के चित्रों को हाथों में लेकर सभास्थल से कुछ दूर पीछे ही रूक गए और अपना मौन प्रदर्शन जारी रखा। लेकिन हादसे का शिकार बच्चों के परिजनों की मौन आवाज सभास्थल पर मौजूद किसी भी नेता तक नहीं पहुंच पाई। हां आते जाते कुद लोगों की इनसानियत मृत बच्चों के परिजनों की आंखों मे आंसू देख कर जरूर जागी और कुछ लोगों ने उनकी आंखों के आए आंसुओं को पौंछने की नाकाम कोशिश भी जरूर की। कुछ लोगों ने मौन प्रदर्शन कर रहे समाज सेवी संजय शर्मा व मृत बच्चों के परिजनों को मुख्यमंत्री से अलग से मिलाने की बात भी की। वहीं एक स्वाल के जवाब में समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि अव वे और कुछ नहीं वोलेंगें। इस मामले में जितना बोला जा सकता था बोला जा चुका है, जितनी गुहार सरकार या उसके प्रतिनिधियों से लगानी थी लगाई जा चुकी है। जितने प्रयास किये जाने चाहिए थे इंसाफ की मांग को लेकर किये जा चुके हैं। लेकिन आश्वास्नों को सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ। हादसे का शिकार बच्चों की आत्मा को अभी भी इंसाफ का इंताजार है तो बच्चों के परिजन पिछले लगभग 8 महीनों से इंसाफ के लिए भटक रहे हैं। 6 महीनों बाद तो कुंभकरण भी अपनी नींद से जाग जाता था लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसलिए मौन प्रदर्शन का सहारा लिया जा रहा है शायद इससे सरकार और उसके प्रतिनिधियों पर कुछ असर हो और हादसे का शिकार हुए बच्चों को इंसाफ मिल सके।
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